खामियों के कारण अटका ई-वे बिल एक अप्रैल से देशभर में लागू हो सकता है. वित्त मंत्रियों की शानिवार को हुई बैठक में इसकी सिफारिश की गई. अंतिम फैसला जीएसटी काउंसिल करेगी.
पैनल के प्रमुख और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बताया कि 50000 रुपये से अधिक कीमत के सामान की आवाजाही के लिए राज्यों के बीच ई-वे बिल व्यवस्था एक अप्रैल से लागू करने का फैसला लिया गया है. इस व्यवस्था के सफलतापूर्वक अमल में आने के बाद चरणबद्ध तरीके से राज्यों के अंदर लागू किया जाएगा.
जीएसटी के एक जुलाई को लागू होने के बाद ई-वे बिल को एक फरवरी से देशभर में अमल में लाया जाना था, पर तकनीकी दिक्कत आ गई थी. 10 मार्च को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीओएम के विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा होगी. जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटीएन पोर्टल पर 7.28 करोड़ जीएसटी रिटर्न दाखिल किए गए हैं. श्री मोदी ने बताया कि अबतक 9.5 लाख करदाताओं तथा 8.5 हजार ट्रांसपोटर्स ने ई-वे बिल का निबंधन कराया है. ट्रायल अवधि के दौरान 6.5 लाख तक ई-वे बिल जेनरेट हो रहा है. नेटवर्क सर्वर की क्षमता बढ़ा दी गई है जिससे पहली अप्रैल से 50 से 75 लाख तक ई-वे बिल प्रतिदिन जेनरेट होगा.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के पहले से बिहार में लागू सुविधा का ई-वे बिल की व्यवस्था से सरलीकरण हो गया है. सुविधा के अंतर्गत परिवहन परमिट के लिए पहले जहां फार्म में 26 फील्ड भरने होते थे वहीं अब मात्र 9 ही भरना होगा. निबंधित कारोबारी और ट्रांसपोटर्स अब कंप्यूटर के अलावा मोबाइल एप्लीकेशंस के जरिये भी आसानी से ई-वे बिल जेनरेट कर सकेंगे.